औद्योगिक समृद्धि एवं संरचनात्मक परिवर्तन

औद्योगिक समृद्धि एवं संरचनात्मक परिवर्तन==== औद्योगिक समृद्धि से आशय किसी भी देश में होने वाली उद्योग के विकास से है । भारत में उद्योगो की वृद्धि एवं विकास के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण नीति 1991 में भारतय सरकार के तत्वकालीन प्रधानमन्त्री नरसिम्हा राव ने की थी । इसके अंतर्गत काफी सारे कदम उठाए गए जोकि देश के औद्योगिक विकास में काफी सहायक साबित हुए । इस नीति के लागू होने के साथ काफी सारे उद्योगो के लिए लाइसेन्स की अनिवार्यता को • समाप्त कर दिया गया , देश में विदेशी निवेश के लिए कदम उठाए गए तथा काफी सारे उद्योगों में विदेशी निवेश को मंजूरी भी मिली , काफी उद्योगों को जो पहले सिर्फ सरकारी क्षेत्र के लिए खुले थे वह अब सार्वजनिक किए गए । इन सब के लिए खुले थे । वह अब सार्वजनिक किए गए । इन सब के उद्योगो का विकास हुआ , देश को आर्थिक मजबूती मिले तथा देश में रोजगार के अवसरों में भी वृद्धि हुई । जिससे हम यह कह सकते है कि औद्योगिक समृद्धि के साथ - साथ संरचनात्मक वृद्धि भी नवीन औद्योगिक नीति का परिणाम थी । PP op hept इसके पश्चात् देश के विकास को ध्यान में रखते हुए और भी कई नीतियों की घोषणा सरकार द्वारा की गई । विदेशी निवेश को बढ़ाकर 51 % तक कर देना उसी औद्योगिक नीति का परिणाम भी जिससे किसी भी प्रकार के उद्योग की स्थापना के लिए पूँजी की कमी या किसी भी प्रकार की तकनीक की कमी रास्ते में ना आए । उद्योगों को सार्वजिक करने करने से देश में उद्योगों के बीच प्रतिस्पर्द्धा जिसके परिणामस्वरूप लोगों को उच्च किस्म की वस्तु कम मूल्य पर आसानी से उपलब्ध हुई साथ ही इसके फलस्वरूप देश में के अवसरों में वृद्धि हुई । इसके द्वारा देश की अर्थव्यवस्था भी काफी सुधार हुआ 

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